देखना है तो कहीं भूख का मंज़र देखो -
देखते क्या हो तमाशों को ज़माने वालों -
तुम गरीबों के बंधा पेट पर पत्थर देखो -
तेज़ की धूप मैं जिस्म जलता है -
और बरसात में मुफलिसों के गिरे घर देखो -
भूख में रोते हुए बच्चों की सुनो किलकारी -
या किसी माँ का गरीबी में खुला सिर देखो-
रोटियां फैंक दी जाती हैं कहीं कूडों पर -
है निवाले का भी मोहताज कोई घर देखो -
इनसे ना बचिए ये भी खुदा वाले हैं -
इन गरीबों से भी कभी दिल लगा कर देखो.-
तबस्सुम जहाँ