लो शाम हुयी याद आएगी
कब तक वो हमें तडपायेगी
तुझसे मिलने की आस लिए
दिल की धड़कन रुक जायेगी
यूँ जाम उठा तो लेता मैं
पर ये नज़र झुक जायेगी
जीने की तमन्ना ही कब थी
पर मौत हमें कब आएगी
हर शाम ये कहती हे मुझसे
वो आज नहीं कल आएगी
वो आयें तो क्या होगा ए खुदा
जब उमर ही मेरी ढल जायेगी
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पहली बार आया आपके ब्लोग पर।
ReplyDeleteअजी जब आप हिन्दी साहित्य में एम फिल कर रही हैं तो आपको 'रीडिंग' और 'राइटिंग' से प्यार कैसे हो सकता है? उससे तो आपको 'लव' ही हो सकता है। पढ्ना और लिखना जिसे पसन्द है जो उसका प्यार है वो अंग्रेजी में क्यों लिख रही है? खैर..। आपका नाम और आपका ब्लोग यानी आपकी पोस्ट दोनों बेहतर है, रचनाओं में 'किन्नर' पर पोस्ट ज्यादा पसन्द आई। अच्छा लिखती हैं, लिखना जारी रखें....। बधाई।
bahut hi khoobsurat rachna...khaas kar ye lines to behad pasand aayi
ReplyDeleteयूँ जाम उठा तो लेता मैं
पर ये नज़र झुक जायेगी
waah kya baat hai
bahut bahut dhanyabad ,jay maharastra pe comment karne ke liye.aap ka email id nahi mila so comment me type kar raha hu
ReplyDeletehan ,
ReplyDeletethis is an outstanding work of words.. mujhe bahut khushi hui is rachna ko padhkar ..aakhri lines ne gazab ka kaam kiya hai .. aapki soch ko salaam..
badhai kabul kare..
regards
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
हर शाम ये कहती हे मुझसे
ReplyDeleteवो आज नहीं कल आएगी
वो आयें तो क्या होगा ए खुदा
जब उमर ही मेरी ढल जायेगी
वाह क्या बात है .... बहुत खूब
आपकी रचना बहुत अच्छी लगी !
अब आता रहूँगा !
आभार एवं शुभ कामनाएं
आज की आवाज
कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
ReplyDeleteलगता है कि शुभेच्छा का भी प्रमाण माँगा जा रहा है।
इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !
तरीका :-
डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स
आज की आवाज
बहुत सुंदर लिखा है ।
ReplyDeleteहर शाम ये कहती हे मुझसे
वो आज नहीं कल आएगी
वो आयें तो क्या होगा ए खुदा
जब उमर ही मेरी ढल जायेगी
बधाई स्वीकार करें ।
http://gunjanugunj.blogspot.com
बहुत खूब !
ReplyDeleteउस दिन खुश हम भी होंगे
जब आप ब्लॉग पर आयेंगी
वाह बहुत सुंदर लिखा है जहान आंटी आपने, और ये लो आपने याद किया कि रामप्यारी हाजिर हो गई आपसे मिलने. बाय आंटी..फ़िर आना..और एक बात बताऊं ...मैं ताऊजी डाट काम पर रोज शाम को ६ बजे एक पहेली पूछती हूं..वहां मिलना मुझसे. ठीक है ना?
ReplyDeletehttp://www.taauji.com
जहान !!! इस रचना में तो आपने सारा जहान समेट लिया, बहुत ही सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteवो आयें तो क्या होगा ए खुदा
ReplyDeleteजब उमर ही मेरी ढल जायेगी
बेहतरीन --- उम्दा
bahut khoobsurati se jazbaat likhe hain...badhai
ReplyDeleteवो आयें तो क्या होगा ए खुदा
ReplyDeleteजब उमर ही मेरी ढल जायेगी..intzaar ke lamhe azeeb hote hai..bjaye seene ke aakho me dil dhadkata hai....
आज से कल और कल से परसो के इन्तज़ार मे अक्सर ज़िन्दगी की शाम कब ढल जाति है पता ही नही चलता है…
ReplyDeleteवो आयें तो क्या होगा ए खुदा.
ReplyDeleteअच्छा ही होगा.काबिलेतारीफ
बहुत सुंदर !!
ReplyDeletebahut hee sunder rachana hai .ek ek panktee sashakt hai .aapke blog par pahalee var hee aai hoo bada accha laga .
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteयूँ जाम उठा तो लेता मैं
ReplyDeleteपर ये नज़र झुक जायेगी
बहुत सुंदर ... उम्दा रचना
बधाई स्वीकार करें ।
शुभ कामनाएं
★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
ReplyDeleteप्रत्येक बुधवार रात्रि 7.00 बजे बनिए
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bahut sunder rachana likhee hai aapane bahut pasand aaee Badhai.
ReplyDeleteहर शाम ये कहती हे मुझसे
ReplyDeleteवो आज नहीं कल आएगी
वो आयें तो क्या होगा ए खुदा
जब उमर ही मेरी ढल जायेगी
पहली बार आप के ब्लॉग पर आया हूँ. आप की पहली रचना ही पढ़ कर बहुत अच्छा लगा. बहु बहुत बधाई
आशु
bahut khoobsurat likha hai ... har ek alfaaz me gahrai hai ... aapki tareed ke hamare lafz nahi....bahut achcha andaaz aapka likhne ka..
ReplyDeleteaap waqt nikaalkar hamare blogs par aaye
http://aleemazmi.blogspot.com/
भावों और अहसासों को चित्रित करती सुंदर रचना.
ReplyDelete"यूँ जाम उठा तो लेता मैं
पर ये नज़र झुक जायेगी"
ये पंक्तियाँ तो बहुत ही प्रभावशाली, इंसानियत का सच्चा सबूत लगीं.
khubsurat lekhni mn bhavan
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