Friday, October 2, 2009

लो शाम हुयी याद आएगी

लो शाम हुयी याद आएगी
कब तक वो हमें तडपायेगी
तुझसे मिलने की आस लिए
दिल की धड़कन रुक जायेगी
यूँ जाम उठा तो लेता मैं
पर ये नज़र झुक जायेगी
जीने की तमन्ना ही कब थी
पर मौत हमें कब आएगी
हर शाम ये कहती हे मुझसे
वो आज नहीं कल आएगी
वो आयें तो क्या होगा ए खुदा
जब उमर ही मेरी ढल जायेगी

25 comments:

  1. पहली बार आया आपके ब्लोग पर।
    अजी जब आप हिन्दी साहित्य में एम फिल कर रही हैं तो आपको 'रीडिंग' और 'राइटिंग' से प्यार कैसे हो सकता है? उससे तो आपको 'लव' ही हो सकता है। पढ्ना और लिखना जिसे पसन्द है जो उसका प्यार है वो अंग्रेजी में क्यों लिख रही है? खैर..। आपका नाम और आपका ब्लोग यानी आपकी पोस्ट दोनों बेहतर है, रचनाओं में 'किन्नर' पर पोस्ट ज्यादा पसन्द आई। अच्छा लिखती हैं, लिखना जारी रखें....। बधाई।

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  2. bahut hi khoobsurat rachna...khaas kar ye lines to behad pasand aayi

    यूँ जाम उठा तो लेता मैं
    पर ये नज़र झुक जायेगी

    waah kya baat hai

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  3. bahut bahut dhanyabad ,jay maharastra pe comment karne ke liye.aap ka email id nahi mila so comment me type kar raha hu

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  4. han ,

    this is an outstanding work of words.. mujhe bahut khushi hui is rachna ko padhkar ..aakhri lines ne gazab ka kaam kiya hai .. aapki soch ko salaam..

    badhai kabul kare..

    regards

    vijay
    www.poemsofvijay.blogspot.com

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  5. हर शाम ये कहती हे मुझसे
    वो आज नहीं कल आएगी
    वो आयें तो क्या होगा ए खुदा
    जब उमर ही मेरी ढल जायेगी


    वाह क्या बात है .... बहुत खूब
    आपकी रचना बहुत अच्छी लगी !
    अब आता रहूँगा !

    आभार एवं शुभ कामनाएं

    आज की आवाज

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  6. कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
    लगता है कि शुभेच्छा का भी प्रमाण माँगा जा रहा है।
    इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !

    तरीका :-
    डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स

    आज की आवाज

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  7. बहुत सुंदर लिखा है ।

    हर शाम ये कहती हे मुझसे
    वो आज नहीं कल आएगी
    वो आयें तो क्या होगा ए खुदा
    जब उमर ही मेरी ढल जायेगी

    बधाई स्वीकार करें ।

    http://gunjanugunj.blogspot.com

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  8. बहुत खूब !

    उस दिन खुश हम भी होंगे
    जब आप ब्लॉग पर आयेंगी

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  9. वाह बहुत सुंदर लिखा है जहान आंटी आपने, और ये लो आपने याद किया कि रामप्यारी हाजिर हो गई आपसे मिलने. बाय आंटी..फ़िर आना..और एक बात बताऊं ...मैं ताऊजी डाट काम पर रोज शाम को ६ बजे एक पहेली पूछती हूं..वहां मिलना मुझसे. ठीक है ना?
    http://www.taauji.com

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  10. जहान !!! इस रचना में तो आपने सारा जहान समेट लिया, बहुत ही सुन्दर रचना ।

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  11. वो आयें तो क्या होगा ए खुदा
    जब उमर ही मेरी ढल जायेगी
    बेहतरीन --- उम्दा

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  12. वो आयें तो क्या होगा ए खुदा
    जब उमर ही मेरी ढल जायेगी..intzaar ke lamhe azeeb hote hai..bjaye seene ke aakho me dil dhadkata hai....

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  13. आज से कल और कल से परसो के इन्तज़ार मे अक्सर ज़िन्दगी की शाम कब ढल जाति है पता ही नही चलता है…

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  14. वो आयें तो क्या होगा ए खुदा.
    अच्छा ही होगा.काबिलेतारीफ

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  15. बहुत सुंदर !!

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  16. bahut hee sunder rachana hai .ek ek panktee sashakt hai .aapke blog par pahalee var hee aai hoo bada accha laga .

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  17. यूँ जाम उठा तो लेता मैं
    पर ये नज़र झुक जायेगी

    बहुत सुंदर ... उम्दा रचना
    बधाई स्वीकार करें ।

    शुभ कामनाएं

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  18. ★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
    प्रत्येक बुधवार रात्रि 7.00 बजे बनिए
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  19. bahut sunder rachana likhee hai aapane bahut pasand aaee Badhai.

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  20. हर शाम ये कहती हे मुझसे
    वो आज नहीं कल आएगी
    वो आयें तो क्या होगा ए खुदा
    जब उमर ही मेरी ढल जायेगी

    पहली बार आप के ब्लॉग पर आया हूँ. आप की पहली रचना ही पढ़ कर बहुत अच्छा लगा. बहु बहुत बधाई

    आशु

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  21. bahut khoobsurat likha hai ... har ek alfaaz me gahrai hai ... aapki tareed ke hamare lafz nahi....bahut achcha andaaz aapka likhne ka..

    aap waqt nikaalkar hamare blogs par aaye

    http://aleemazmi.blogspot.com/

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  22. भावों और अहसासों को चित्रित करती सुंदर रचना.
    "यूँ जाम उठा तो लेता मैं
    पर ये नज़र झुक जायेगी"
    ये पंक्तियाँ तो बहुत ही प्रभावशाली, इंसानियत का सच्चा सबूत लगीं.

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